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हरिहरपुरी की कुण्डलिया




हरिहरपुरी की कुण्डलिया


हार्दिक मानवता खिले, सजें पुष्प बहु रंग।


सुरभित मधुरिम फूलमय ,लगे विश्व नौ रंग।।


लगे विश्व नौ रंग, रंग की दुनिया न्यारी।


लगे सुहावन दिव्य,भंगिमा अतिशय प्यारी।।


कहें मिसिर कविराय, गीत गाओ नित वैदिक।


धन्य होय संसार, सुने वचनामृत हार्दिक।।

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4 Comments

बेहतरीन

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Sachin dev

06-Jan-2023 06:08 PM

Shandar 👍🌺

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Gunjan Kamal

05-Jan-2023 08:41 PM

शानदार प्रस्तुति 👌

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