डॉ. रामबली मिश्र
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हरिहरपुरी की कुण्डलिया
हार्दिक मानवता खिले, सजें पुष्प बहु रंग।
सुरभित मधुरिम फूलमय ,लगे विश्व नौ रंग।।
लगे विश्व नौ रंग, रंग की दुनिया न्यारी।
लगे सुहावन दिव्य,भंगिमा अतिशय प्यारी।।
कहें मिसिर कविराय, गीत गाओ नित वैदिक।
धन्य होय संसार, सुने वचनामृत हार्दिक।।
पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:12 AM
बेहतरीन
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Sachin dev
06-Jan-2023 06:08 PM
Shandar 👍🌺
Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:41 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
05-Jan-2023 07:24 PM
शानदार
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
08-Jan-2023 09:12 AM
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Sachin dev
06-Jan-2023 06:08 PM
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Gunjan Kamal
05-Jan-2023 08:41 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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